Shravan months third day of Shukla-paksha is celebrated as Shravani Teej. But mostly people know it by the name of Hariyali teej. This is mainly a women festival. It is also known by the name of Singhara teej in few places. Hariyali Teej (Singhara Teej) is most widely celebrated in Rajasthan and in Northern India.
On this occasion, a newly married woman is called back to her home on her first Teej. Newly married woman receives Singhara from their in-laws which includes new clothes, jewellry, beauty products, mehndi, sweets etc. Women clad in colourful dresses and ornaments and adore their hands with beautiful mehandi patterns.
Nature can be seen flourishing during this period, the fields turn lush green and the festivity is an invitation to prosperity. Swings are hung from trees, traditional songs and dancing are performed by women. On this occasion of hariyali teej women offer prayers to goddess Parvati. After the prayers they sing the folk songs related to Shiva-Parvati's happy married life. Many fairs are also organised on the occasion of Hariyali Teej. Women can be seen enjoying themselves with songs, swings etc.
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं । परन्तु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते है। यह मुख्य रुप से महिलाओं का त्यौहार है। इसे कई जगहों में सिंघारा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार मुख्यतः राजस्थान व ऊतरी भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस त्यौहार पर लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। विवाह के उहरान्त पहला सावन आने पर, लड़की को ससुराल में नहीं छोड़ा जाता है। नवविवाहित कन्या के सुसराल से इस त्यौहार पर सिंजारा भेजा जाता है। हरियाली तीज से एक दिन पहले नवविवाहिता लड़की की ससुराल से नये वस्त्र, श्रृंगार का सामान, आभूषण, मेहंदी, मिठाई आदि भेजी जाती है। इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है, जो सुहाग का चिह्न माना जाता है। स्त्रियाँ अपने हाथों पर भिन्न-भिन्न तरह से मेहंदी सजाती है।
इस मौसम में जब प्रकृति चारों तरफ हरयाली की चादर बिछा देती है, तो इस सुन्दर प्रकृतिक नज़ारे को देखकर मन झूम उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते है, नृत्य व गीत गाये जाते है। यह दृश्य बहुत ही मन लुभाने वाला होता है।
हरियाली तीज पर महिलाएँ पार्वती माता का पूजन करती हैं। पूजन के बाद महिलाएँ मिलकर शिव-गौरी के सुखद वैवाहिक जीवन से जुड़े लोकगीत गाती हैं। इस दिन अनेक स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। सावन के गीत गाए जाते है व झूलें कें पींग बड़ाये जाते है। झूलों पर ऊँची-ऊँची पेंग लेती महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता है।